कर्म शत्रु संघर्ष से, जगे सुप्त सौभाग ।
दुख में दर्द लुप्त रहे, सुख में जगे विराग ॥2॥
दरिद्रता में दयावान बन, वैभव में विनयवान ।
सतवचनों पर श्रद्धावान बन, पुरूषार्थ चढे परवान ॥3॥
कर्म शत्रु संघर्ष से, जगे सुप्त सौभाग ।
दुख में दर्द लुप्त रहे, सुख में जगे विराग ॥2॥
दरिद्रता में दयावान बन, वैभव में विनयवान ।
सतवचनों पर श्रद्धावान बन, पुरूषार्थ चढे परवान ॥3॥
विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
हितेन्द्र अनंत का दृष्टिकोण
पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, इतिहास, यात्रा आदि पर Archaeology, Numismatics, History, Travel and so on
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
चरित्र विकास
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जीवन में सफलता, समृद्धि, संतुष्टि और शांति स्थापित करने के मंत्र और ज्ञान-विज्ञान की जानकारी
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Udan Tashtari
25/07/2010 at 4:25 पूर्वाह्न
अच्छी सीख दोहों के माध्यम से.
M VERMA
25/07/2010 at 7:02 पूर्वाह्न
बहुत बढ़िया .. सीख देते दोहे
Arvind Mishra
25/07/2010 at 9:47 पूर्वाह्न
सुख में जगे विराग बेहतर
सुज्ञ
25/07/2010 at 9:55 पूर्वाह्न
समीर जी,वर्मा जी,अरविन्द जी,आभार, प्रोत्साहन के लिए, आपार खुशी हुई आप पधारे।
हमारीवाणी.कॉम
25/07/2010 at 10:30 अपराह्न
हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें हमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.इसके लिये आपको नीचे दिए गए लिंक पर जा कर दिया गया कोड अपने ब्लॉग पर लगाना होगा. इसके उपरांत आपके ब्लॉग पर हमारीवाणी का लोगो दिखाई देने लगेगा, जैसे ही आप लोगो पर चटका (click) लगाएंगे, वैसे ही आपके ब्लॉग की फीड हमारीवाणी पर अपडेट हो जाएगी. कोड के लिए यंहा क्लिक करे
Parul
25/07/2010 at 10:49 अपराह्न
sir bahut acche dohe hai 🙂
दीर्घतमा
26/07/2010 at 10:47 पूर्वाह्न
आपका दोहा बहुत ही उपदेशनात्मक हैबहुत अच्छा लगाधन्यवाद
सुज्ञ
26/07/2010 at 11:32 पूर्वाह्न
पारूल जी,सुबेदार जी,बहुत बहुत धन्यवाद!!
अमित शर्मा
27/07/2010 at 9:01 अपराह्न
@ दरिद्रता में दयावान बन, वैभव में विनयवान ।अगर सब कोई ऐसा ही करें तो क्या ही अच्छा हो