जबकि भारत में यह अहिंसा पालन और नैतिक आचरण किताबों में कैद और उपदेशों तक सीमित हो गया। क्योंकि पालन बड़ा कठीन था और मानवीय स्वभाव सदैव से सरलतागामी और सुविधाभोगी रहा है। हमें अहिंसा कठिन तप लगने लगी और नैतिकता दुष्कर और दूरह। नैतिक निष्ठा से दूर होकर हम, उस पतन की ओर ढ़लने लगे जो हमें बिना किसी विशेष परिश्रम के, सुखदायक स्थिति में रखता था। इस प्रकार सुविधाभोगी मानस से नैतिक आचरण तो गया ही गया, उसके अंश स्वरूप का शिष्टाचार भी हमारे जीवन से तिरोहित हो गया।
वस्तुतः सदाचरण हमारे जीवन को मंगलमय रखता है। शान्ति फैलाता है और जीवन संघर्ष के कितने ही तनावों से मुक्त रखता है, इसलिए कल्याणकारी है। इसका पालन कठिन है, लेकिन इस गुण के लाभ देखकर इसके प्रति आकर्षण हमेशा ही बना रहता है। इसी कारण पाश्चात्य शिष्टाचार के प्रति हमें अहोभाव होता है। किन्तु सदाचार का मूल ‘अहिंसा’ जो हमारी भारतीय संस्कृति का सुदृढ़ आधार था, हम विस्मृत कर बैठे। हम इतने सुविधाभोगी हो गए कि अहिंसा का विचार भी हमें अव्यवहारिक और अति समान प्रतीत होता है, जबकि शिष्टाचार के प्रति चाहने मात्र को आकर्षण बना रहता है। इसलिए हमें लगता है कि अगर पश्चिम से शिष्टाचार के गुर सीख लिए तो भयो भयो।
अहिंसा गंगोत्री है, सदाचरण और नैतिक आचरण की। उसके प्रबल प्रवाह से घबराकर हमने उसे मुख पर ही बांध दिया है, फिर भी उससे निकलती सदाचार की स्वच्छ धाराएँ है किन्तु उसे भी हमने गंदला कर दिया है। उन्ही धाराओं से अंश रूप भरा शिष्टाचार रूपी छोटी बोतल का पानी हमें सुहाने लगा है।
श्रेष्ठ संस्कृति पर मात्र गर्व लेने से कुछ नहीं होगा। जो गर्विला खजाना था वह तो कबका गर्त में गढ़ चुका है। पुनः श्रम कर खोद निकालना होगा, व्यर्थ धूल कचरा झाड़ना होगा। और दृढ मनोबल से उसे चलन में लाना होगा। कठिनाईयां तो असंख्य आएगी, पहले पहल तो शायद कीमत भी पूरी न मिले। लेकिन अन्ततः सतत उपयोग से आचार-स्मृद्धि आएगी ही। तब उस श्रेष्ठ आचार समृद्धि पर अवश्य गर्व लिया जा सकता है।
हम, पोलिश कर चमकाए गए एक दो ओंस के हीरे पर मोहित हो रहे है जबकि हमारे पास हीरे की पूरी खदान मौजूद है, बस हम उसके अस्तित्व और उपादेयता से अनभिज्ञ है। हमें परख ही नहीं है।
अब अहिंसा और नैतिकता से मुंह बिचकाना छोडिये, वह निधि है, वह हमारी जड़ें है। यह कभी भी गुजरे जमाने की बात नहीं हो सकती। उलट अहिंसा तो सभ्यता, विकास, शान्ति और चिरस्थायी सुख का मेरूदंड़ है।