- प्रस्तुत दृष्टांत का ध्येय क्या है?
- इस कथा का अन्तिम सार क्या है?
- विभिन्न प्रतीकों के मायने क्या है?
- क्या कोई और उदाहरण है जो इसका समानार्थी हो?
- यह दृष्टांत किस तरह के तथ्यों पर लागू किया जा सकता है?
Monthly Archives: जुलाई 2011
छः अंधे और हाथी – अनेकान्तवाद
सत्य की गवैषणा – अनेकान्तवाद
- मताग्रह न रखें
- पक्षपात से बचें
- सत्य के प्रति निष्ठा
- परीक्षक बनें।
- भेद-विज्ञान को समझें
_________________________________________________________
धर्म का स्वरूप
-
धृति: क्षमा दमो स्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रह: ।धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ।– धर्म के यह दस लक्षण स्पष्ठ रूप से सदाचरण के ही स्वभाविक लक्षण है।
‘स्व’ भाव अपने आप में आत्मस्वभाव के अर्थ में है। और वह स्वयं में व्यापक अर्थ लिए हुए है।
धर्म और जीवन
अधिक सम्मान का अधिकारी कौन?
चार अखंड़ मोती
- प्रशंसा मानव स्वभाव की एक ऐसी कमजोरी है कि जिससे बड़े बड़े ज्ञानी भी नहीं बच पाते। निंदा की आंच भी जिसे पिघला नहीं पाती, प्रशंसा की ठंड़क उसे छार-छार कर देती है।
- जब तक क्रोध, मान, माया और लोभ रूपी कषाय से छूटकारा नहीं होता, तब तक दुखों से मुक्ति सम्भव ही नहीं।
- सदभावना, विषय-कषाय से विरक्त और समभाव में अनुरक्त रखती है। विपत्तियों में समता और सम्पत्तियों में विनम्रता प्रदान करती है।
- पूर्ण विवेक से निर्णय करने के उपरांत भी यदि परिणाम प्रतिकूल आ जाय ऐसी विपरित परिस्थिति में भी उसका विरोध करने के बजाय यदि मन को समझाना आ जाय तो समाधि सम्भव है।
सम्मान किसे अधिक मिलता है?
जीवन सार्थक कौनसा?
चार अक्षय मुक्ता
- प्रशंसा
_________________________________________________________
- कषाय
- सदभावना
_________________________________________________________
- समाधि
_________________________________________________________