विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
हितेन्द्र अनंत का दृष्टिकोण
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मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
चरित्र विकास
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संगीता स्वरुप ( गीत )
25/12/2010 at 3:36 अपराह्न
गाँव वाली कथा का नवीनी करण ….सटीक ..
सुज्ञ
25/12/2010 at 3:50 अपराह्न
सही पहचाना दीदी,यह गांव वाली बोध-कथा का ब्लॉगीकरण है।
Kunwar Kusumesh
25/12/2010 at 4:19 अपराह्न
सुज्ञ जी,आपने पुरानी कथा का ब्लोगीकरण कर दिया..
राज भाटिय़ा
25/12/2010 at 4:41 अपराह्न
आज आप का लेख पढ कर लगा की सच मे भारत आधुनिक हो गया, बहुत मस्त लिखा महाराज एक बुढिया को जींस ओर टी शर्ट पहना दी, धन्य हे जी:)
Gourav Agrawal
25/12/2010 at 4:41 अपराह्न
बहुत सुन्दर रूपांतरण है .. आनंद आ गया
Gourav Agrawal
25/12/2010 at 4:44 अपराह्न
पर मैं तो यही कहूँगा "आपका ब्लॉग जमा रहे" और आगे से आपकी टिप्पणियाँ ध्यान से पढनी पढ़ेंगी लगता है :))))
Gourav Agrawal
25/12/2010 at 4:47 अपराह्न
सुधार :और आगे से आपकी टिप्पणियाँ ध्यान से पढनी होंगी लगता है :))))
सुज्ञ
25/12/2010 at 4:56 अपराह्न
गौरव जी,@"आपका ब्लॉग जमा रहे"ताकि आप सद्विचार टिप्पणियां फ़ैलाते जाएँ? अकेले ही???
Babli
25/12/2010 at 5:09 अपराह्न
आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
25/12/2010 at 5:24 अपराह्न
नानक वाणी के साथ सुज्ञ जी के स्वर सुनकर,बस यही कामना है कि प्रार्थना में जब भी उठें मेरे हाथ तो यही माँगें कि आपका कहना सच हो!!
anshumala
25/12/2010 at 5:46 अपराह्न
अच्छे विचार हर जगह हर समय में ऐसे ही लागु हो जाते है जैसे आप ने नानक विचार का ब्लॉग के लिए किया है |
Gourav Agrawal
25/12/2010 at 5:52 अपराह्न
@सुज्ञ जी …. हमारा काम तो पूरा हुआ ….. २०१० जो पूरा हुआ :)) …..शुभकामनाएं 🙂
Gourav Agrawal
25/12/2010 at 5:56 अपराह्न
कुछ एक दो अच्छी अच्छी पोस्ट के जरिये कहेंगे बाय बाय
सुज्ञ
25/12/2010 at 6:02 अपराह्न
गौरव जी,आपका काम पूरा कहाँ हुआ? यह तो मात्र ईस्वी साल खत्म हुआ है।हम तो नये साल पर नये अवतार में आपका स्वागत करेंगे।
नीरज गोस्वामी
25/12/2010 at 6:05 अपराह्न
bhai bahut khoob…kya door ki kaudi laayen hain aap…waah.neeraj
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
25/12/2010 at 6:58 अपराह्न
गुरू नानक जी के विचारों को आधुनिक और सामयिक रूप में रखने के लिये बधाई..
वन्दना
25/12/2010 at 7:03 अपराह्न
गुरु नानक के उपदेश का सही सदुपयोग किया है।
ZEAL
25/12/2010 at 8:53 अपराह्न
इस प्रेरक प्रसंग के लिए आपका आभार।
VICHAAR SHOONYA
26/12/2010 at 2:28 अपराह्न
गुरु नानक जी की कथा का ये ब्लोगीकरण बढ़िया है.
वन्दना
26/12/2010 at 5:58 अपराह्न
आपकी अति उत्तम रचना कल के साप्ताहिक चर्चा मंच पर सुशोभित हो रही है । कल (27-12-20210) के चर्चा मंच पर आकर अपने विचारों से अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।http://charchamanch.uchcharan.com
सतीश सक्सेना
26/12/2010 at 9:52 अपराह्न
बहुत खूब सुज्ञ जी अच्छा प्रस्तुतिकरण ! हार्दिक शुभकामनायें !
उपेन्द्र ' उपेन '
26/12/2010 at 11:38 अपराह्न
भाई जी हम भी नत मस्तक हो गयें ऐसे ज्ञान के पीछे………… कमाल का ज्ञान है. अच्छी लगी ये प्रस्तुति . फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
वाणी गीत
27/12/2010 at 8:23 पूर्वाह्न
कई बार सुनी पढ़ी कथा ब्लॉगजगत के लिए भी सही सन्देश दे रही है ..
अन्तर सोहिल
28/12/2010 at 5:08 अपराह्न
सुन्दर बहुत अच्छी लगी जी यह पोस्टप्रणाम
sada
30/12/2010 at 4:07 अपराह्न
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति …आभार ।
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
02/12/2012 at 4:17 पूर्वाह्न
😉