RSS

Category Archives: दर्शन

खोज जारी है, मित्रों के लिये…॥

  • बुद्धु :     जिसका अपमान हो और उसके मन को पता भी न चले।
  • आलसी :किसी को चोट पहूंचाने के लिये हाथ भी न उठा सके।
  • डरपोक : गाली खाकर भी मौन रहे।
  • कायर :  अपने साथ बुरा करने वाले को क्षमा कर दे।
  • मूर्ख :    कुछ भी करो, या कहो क्रोध ही न करे।
  • कडका : जलसेदार गैरजरूरी खर्च न कर सके।
  • जिद्दी :  अपने गुणों पर सिद्दत से अडा रहे।
क्या कहा, आज के सतयुग में ये बदमाशियाँ मिलना दुष्कर है?
चलो शर्तों को कुछ ढीला करते है, जो इन पर चल न पाये, पर बनना तो ऐसा ही चाहते है, अर्थार्त : जिनके विचार, मान्यता तो यही है।
मित्रता की अपेक्षा से हाथ बढाया है, टिप्पणी से अपना मत प्रकाशित करें
________________________________________________
 

टैग: , , , , , ,

उँचा खानदान

खाते है जहाँ गम सभी, नहिं जहाँ पर क्लेश।

निर्मल गंगा बह रही, प्रेम की  जहाँ विशेष॥

हिं व्यसन-वृति कोई, खान-पान विवेक।
सोए-जागे समय पर, करे कमाई नेक॥

दाता जिस घर में सभी, निंदक नहिं नर-नार।
अतिथि का आदर करे, सात्विक सद्व्यवहार॥

मन गुणीजनों को करे, दुखीजन के दुख दूर।
स्वावलम्बन समृद्धि धरे, हर्षित रहे भरपूर॥
____________________________________________
 
 

टैग: , , , , , ,

चीर कर कठिनाईयों को, दीप बन हम जगमगाएं

॥लक्ष्य॥
लक्ष्य है उँचा हमारा, हम विजय के गीत गाएँ।
चीर कर कठिनाईयों को, दीप बन हम जगमगाएं॥
तेज सूरज सा लिए हम, ,शुभ्रता शशि सी लिए हम।
पवन सा गति वेग लेकर, चरण यह आगे बढाएँ॥
हम न रूकना जानते है, हम न झुकना जानते है।
हो प्रबल संकल्प ऐसा, आपदाएँ सर झुकाएँ॥
हम अभय निर्मल निरामय, हैं अटल जैसे हिमालय।
हर कठिन जीवन घडी में फ़ूल बन हम मुस्कराएँ॥
हे प्रभु पा धर्म तेरा, हो गया अब नव सवेरा।
प्राण का भी अर्ध्य देकर, मृत्यु से अमरत्व पाएँ॥
                                                   -रचनाकार: अज्ञात

_____________________________________________________________________________

 

टैग: , , , , , , ,

नम्रता

भवन्ति नम्रास्तरवः फ़लोदगमैर्नवाम्बुभिर्भूमिविलम्बिनो घना:।
अनुद्धता  सत्पुरुषा: समृद्धिभिः  स्वभाव एवैष परोपकारिणम्॥
_______________________________________________________________

– जैसे फ़ल लगने पर वृक्ष नम्र हो जाते है,जल से भरे मेघ भूमि की ओर झुक जाते है, उसी प्रकार सत्पुरुष  समृद्धि पाकर नम्र हो जाते है, परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा होता है।
_______________________________________________________________

 

टैग: , , , , , , , ,

 
गहराना

विचार वेदना की गहराई

॥दस्तक॥

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं

दृष्टिकोण

दुनिया और ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं पर हितेन्द्र अनंत की राय

मल्हार Malhar

पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, इतिहास, यात्रा आदि पर Archaeology, Numismatics, History, Travel and so on

मानसिक हलचल

प्रयागराज और वाराणसी के बीच गंगा नदी के समीप ग्रामीण जीवन। रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर अफसर। रेल के सैलून से उतर गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलता व्यक्ति।

सुज्ञ

चरित्र विकास

WordPress.com

WordPress.com is the best place for your personal blog or business site.

हिंदीज़ेन : HindiZen

जीवन में सफलता, समृद्धि, संतुष्टि और शांति स्थापित करने के मंत्र और ज्ञान-विज्ञान की जानकारी

WordPress.com News

The latest news on WordPress.com and the WordPress community.