पांचों विकारों में से क्रोध ही एक ऐसा विकार है……

- क्रोध आने से लेकर इसकी समाप्ति तक इसको चार भागों में बांटा जा सकता है-
दृष्टव्य सूत्र:-
बर्ग-वार्ता- क्रोध पाप का मूल है …
सुज्ञ: क्षमा-सूत्र
दृष्टव्य सूत्र:-
बर्ग-वार्ता- क्रोध पाप का मूल है …
सुज्ञ: क्षमा-सूत्र
विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
दुनिया और ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं पर हितेन्द्र अनंत की राय
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ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग। भदोही (पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारत) में ग्रामीण जीवन। रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर अफसर। रेल के सैलून से उतर गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलता व्यक्ति।
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सदा
26/03/2012 at 4:43 अपराह्न
अक्षरश: सही कहा है आपने…सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति
वन्दना
26/03/2012 at 5:23 अपराह्न
सार्थक आलेख्।
Deepak Saini
26/03/2012 at 6:01 अपराह्न
सार्थक एवं ज्ञानवर्धक आलेख आभार
रविकर
26/03/2012 at 6:07 अपराह्न
बस कभी कभी तो सचमुच मुश्किल होती है जब व्यर्थ लांछित किया जाता है ।।
Ramakant Singh
26/03/2012 at 6:56 अपराह्न
beautiful post
क्षितिजा ....
26/03/2012 at 7:31 अपराह्न
सार्थक और प्रेरणादायक आलेख … धन्यवाद …
रश्मि प्रभा...
26/03/2012 at 7:53 अपराह्न
आपके विचार परिपक्व आधार देते हैं …
M VERMA
26/03/2012 at 9:08 अपराह्न
बहुत सुन्दर और सुव्यवस्थित विचार
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)
26/03/2012 at 10:36 अपराह्न
जीवन के लिये अनिवार्य सीख………
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
27/03/2012 at 12:07 पूर्वाह्न
क्रोध कभी कभी तो अकल्पनीय हानि कर देता है.
डॉ॰ मोनिका शर्मा
27/03/2012 at 5:22 पूर्वाह्न
सच है विवेकपूर्ण मौन ही उचित है ऐसी परिस्थितियों में
कुमार राधारमण
27/03/2012 at 1:36 अपराह्न
जो स्वानुशासित विवेकी और आत्मावलोकी होगा,उसके क्रोधित होने की संभावना ही तभी होगी जब उससे किसी का कल्याण होता हो। श्वास-नियंत्रण अथवा ध्यान ही उपाय है।
Amrita Tanmay
27/03/2012 at 1:48 अपराह्न
सुन्दर , सार्थक वचन मनन योग्य ..बहुत सुन्दर..
सदा
27/03/2012 at 4:11 अपराह्न
कल 28/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! … मधुर- मधुर मेरे दीपक जल …
दिगम्बर नासवा
27/03/2012 at 7:28 अपराह्न
उत्तम विचार रक्खा है .. पर क्रोध से निजात पाना बहुत ही मुश्किल है … साधना पढता है इसे …
प्रवीण पाण्डेय
27/03/2012 at 8:34 अपराह्न
सदा ही इससे बचने का प्रयास करना चाहिये।
कौशलेन्द्र
27/03/2012 at 9:25 अपराह्न
बड़े-बड़े वीरों के लिये भी दुष्कर है क्रोध पर विजय पाना।
expression
28/03/2012 at 9:21 पूर्वाह्न
बहुत सार्थक बात कही….जिसने क्रोध पर नियंत्रण किया वो तो परमात्मा को पा लेता है….मगर बड़ा जटिल कार्य है ये..सादर.
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
28/03/2012 at 10:32 पूर्वाह्न
@ स्वानुशासित विवेक और आत्मावलोकन के लिए मौन हो जाना क्रोध मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय है।सुन्दर आलेख, उपयोगी सुझाव!
संगीता स्वरुप ( गीत )
28/03/2012 at 12:11 अपराह्न
सटीक बात …पर नियंत्रण ही तो नहीं होता
S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')
28/03/2012 at 5:17 अपराह्न
अत्यंत सार्थक प्रेरक प्रस्तुति….सादर।
Anupama Tripathi
28/03/2012 at 8:56 अपराह्न
आत्मावलोकन के लिए मौन हो जाना क्रोध मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय है। वाह बहुत बढ़िया आलेख …!!
veerubhai
21/04/2012 at 8:44 पूर्वाह्न
हंस राज जी ,सुज्ञ !आपके और दराल साहब जैसे जिसके स्नेही हों उसे जीवन में और क्या चाहिए .मैं तो ब्लोगियों को एक परिवार सरीखा ही लेता हू .बहर -सूरत यह काम आज कर लिया जाएगा जिस ओर आपने और डॉ .दराल साहब ने मुझे फोन करके कल रात मेरे बेंगलुरु से मुंबई पहुँचते ही आगाह कर दिया था .स्वयं दराल साहब को पिट्सबर्ग से अनुराग जी ने खबर दी थी .शुक्रिया आपका .नेहा एवं आदर से .वीरुभाई ,4C,ANURADHA,NOFRA,COLABA,MUMBAI-400-005
veerubhai
21/04/2012 at 8:46 पूर्वाह्न
बेहतरीन और अधुनातन प्रोद्योगिकी से वाकिफ करवाने के लिए आपका शुक्रिया .
Bk Neetaptn
26/08/2013 at 2:50 अपराह्न
nice neeta