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धृति: क्षमा दमो स्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रह: ।धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ।– धर्म के यह दस लक्षण स्पष्ठ रूप से सदाचरण के ही स्वभाविक लक्षण है।
‘स्व’ भाव अपने आप में आत्मस्वभाव के अर्थ में है। और वह स्वयं में व्यापक अर्थ लिए हुए है।
‘स्व’ भाव अपने आप में आत्मस्वभाव के अर्थ में है। और वह स्वयं में व्यापक अर्थ लिए हुए है।
विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
हितेन्द्र अनंत का दृष्टिकोण
पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, इतिहास, यात्रा आदि पर Archaeology, Numismatics, History, Travel and so on
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
चरित्र विकास
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जीवन में सफलता, समृद्धि, संतुष्टि और शांति स्थापित करने के मंत्र और ज्ञान-विज्ञान की जानकारी
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रश्मि प्रभा...
29/07/2011 at 8:52 पूर्वाह्न
bahut hi gahan vivechan
Navin C. Chaturvedi
30/07/2011 at 8:25 पूर्वाह्न
पुन: साधुवाद
Dinesh pareek
09/08/2011 at 8:31 पूर्वाह्न
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/