जब तक समन्वय का दृष्टिकोण विकसित नहीं होता तब तक विवादों से विराम नहीं मिलता। छोडना, प्राप्त करना और उपेक्षा करना इन तीनों के योग का नाम समन्वय है। मनुष्य यदि इन बातों का जीवन में समन्वय, समायोजन कर ले तो शान्तिपूर्ण जीवन जी सकता है।
- निराग्रह विचार (अपने विचारों का आग्रह छोड दें)
- सत्य तथ्य स्वीकार (श्रेष्ठ अनुकरणीय आत्मसात करें)
- विवाद उपेक्षा ( विवाद पैदा करने वाली बातों की उपेक्षा करें)
Manpreet Kaur
10/06/2011 at 12:38 अपराह्न
अच्छा पोस्ट है !मेरे ब्लॉग पर जुरूर आए !Download Free MusicDownload Free Movies
Patali-The-Village
10/06/2011 at 6:34 अपराह्न
बहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना| धन्यवाद|
रश्मि प्रभा...
10/06/2011 at 8:24 अपराह्न
अक्षरशः सत्य
ZEAL
11/06/2011 at 6:56 पूर्वाह्न
यदि हम अनावश्यक विचारधारा छोड़ें, नए सम्यक् विचारों को स्वीकार करें और तथ्यहीन बातों की उपेक्षा करना सीख लें तो यथार्थ समन्वय हो जाता है उस दशा में न जाने कितने ही झगड़ों और विवादों से बचा जा सकता है।धन्यवाद सुज्ञ जी , इन श्रेष्ठ वचनों के लिए। .
अरुण चन्द्र रॉय
11/06/2011 at 5:16 अपराह्न
उत्कृष्ट विचार