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संतोष………
30
नवम्बर
मनुज जोश बेकार है, अगर संग नहिं होश ।
मात्र कोष से लाभ क्या, अगर नहिं संतोष ॥1॥
दाम बिना निर्धन दुःखी, तृष्णावश धनवान ।
कहु न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान ॥2॥
धन संचय यदि लक्ष्य है, यश मिलना अति दूर।
यश – कामी को चाहिये, त्याग शक्ति भरपूर ॥3॥
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अमित शर्मा
01/12/2010 at 10:38 पूर्वाह्न
@ यश – कामी को चाहिये, त्याग शक्ति भरपूरyehi to nahi hota !!!!!!!!
विरेन्द्र सिंह चौहान
01/12/2010 at 8:07 अपराह्न
Very true……worth reading.
sanjay
02/12/2010 at 10:24 पूर्वाह्न
santoshm parmam sukham……..santosh dhan se bara koi dhan nahi………pranam.
अनामिका की सदायें ......
02/12/2010 at 9:22 अपराह्न
बहुत सच्ची बात. शुक्रिया.
सतीश सक्सेना
02/12/2010 at 9:36 अपराह्न
बहुत प्यारी पंक्तियाँ ! हार्दिक आभार !
ZEAL
03/12/2010 at 4:33 अपराह्न
.behatreen sandesh deti , sundar panktiyaan . aabhaar. .