-
कलह बढे ऐसे वचन न कहो
-
सिरदर्द करे ऐसा पठन न करो
-
क्रूरता बढे ऐसा चिंतन न करो
-
अपकीर्ती हो ऐसा वर्तन न करो
-
वासना बढे ऐसा मनन न करो
-
पेटदर्द हो ऐसा भोजन न करो
_____________________________________________
_____________________________________________
विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
दुनिया और ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं पर हितेन्द्र अनंत की राय
पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, इतिहास, यात्रा आदि पर Archaeology, Numismatics, History, Travel and so on
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
चरित्र विकास
WordPress.com is the best place for your personal blog or business site.
जीवन में सफलता, समृद्धि, संतुष्टि और शांति स्थापित करने के मंत्र और ज्ञान-विज्ञान की जानकारी
The latest news on WordPress.com and the WordPress community.
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
27/11/2010 at 11:44 पूर्वाह्न
नाइस 🙂
वन्दना
27/11/2010 at 11:48 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर वचन।
संगीता स्वरुप ( गीत )
27/11/2010 at 12:03 अपराह्न
खूबसूरत सलाह …
Alok Mohan
27/11/2010 at 12:13 अपराह्न
bahut achha jeevan me utarane wali sadupyogi bate
deepak saini
27/11/2010 at 12:14 अपराह्न
सत्य वचन
POOJA...
27/11/2010 at 12:45 अपराह्न
बहुत सुन्दर वचन…परन्तु पठान से हमेशा ही सर दर्द होता था…
सम्वेदना के स्वर
27/11/2010 at 1:45 अपराह्न
जानबूझ कर मुसीबत कौन मोल लेता है? नीर-क्षीर विवेक पैदा हो यह प्रार्थना है प्रभु से!
डॉ॰ मोनिका शर्मा
27/11/2010 at 1:58 अपराह्न
सत्य वचन ……बहुत सुन्दर
अरविन्द जांगिड
27/11/2010 at 2:58 अपराह्न
सत्य वचन, धन्यवाद
anshumala
27/11/2010 at 4:53 अपराह्न
कलह बढे ऐसे वचन न कहो कोई काम ही ऐसा करे तो बोलना ही पड़ता है वरना कौन ये करना चाहता है |
संजय भास्कर
27/11/2010 at 5:06 अपराह्न
सत्य वचन
महेन्द्र मिश्र
27/11/2010 at 8:11 अपराह्न
सुन्दर विचार प्रस्तुति…
दीपक डुडेजा DEEPAK DUDEJA
27/11/2010 at 8:12 अपराह्न
लगे हाथ ये बताएं …… कि क्या क्या करना चाहिए.
सुज्ञ
27/11/2010 at 8:38 अपराह्न
दीपक जी,इस पोस्ट में उल्लेख है:http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/07/blog-post_2858.html
सुज्ञ
27/11/2010 at 8:43 अपराह्न
पूजा जी,@परन्तु पठान से हमेशा ही सर दर्द होता था…यह पठान कौन है? 🙂 क्यों उसका लेखन पढती हैं आप? छोडोयदि आपका तात्पर्य पठन है, तो ऐसा पठन न करें 🙂
सुज्ञ
27/11/2010 at 8:46 अपराह्न
सम्वेदना बंधु,@जानबूझ कर मुसीबत कौन मोल लेता है?मनुष्य जान बुझ ही तो नहिं पाता।
Shah Nawaz
27/11/2010 at 8:47 अपराह्न
वाह! अच्छी बातें बताई आपने…प्रेमरस.कॉम
सुज्ञ
27/11/2010 at 8:49 अपराह्न
अंशुमाला जी,@कोई काम ही ऐसा करे तो बोलना ही पड़ता है:)संयम, सहनशीलता और समता का पाठ भी तो हम लोग पढते है।और यह तुक काम भी तो करता है।:)
सुज्ञ
27/11/2010 at 8:56 अपराह्न
भारतीय नागरिक जीवन्दना जीसंगीता स्वरुप जी दीदीआलोक मोहन जीदीपक सैनी जीडॉ॰ मोनिका शर्मा जीअरविन्द जांगिड जीसंजय भास्कर जीमहेन्द्र मिश्र जी और शाहनवाज़ साहबसराहना के लिये आपका विनित आभार!!
Vandana ! ! !
27/11/2010 at 9:26 अपराह्न
सत्य वचन. मगर अंतिम वाली पेटदर्द हो ऐसा भोजन न करो…… वो वाली अक्सर मैं भूल जाती हूँ.
Akhtar Khan Akela
27/11/2010 at 9:36 अपराह्न
hnsraaj bhayai bhut khub sikh de rhe ho ishvr kre yeh sb baten hr insaan ke vyvhar men aayen or desh men sudhar aa jaaye. akhtar khan akela kota rajsthan
सुज्ञ
27/11/2010 at 10:11 अपराह्न
वन्दना!!!जी,आभार, आपका पधारना हुआ।रसना बडी चंचल है और स्वार्थी भी,रस का आनंद लेती है,पर लीवर का नहिं सोचती।:)
सुज्ञ
27/11/2010 at 10:17 अपराह्न
अख्तर जी,गुणों का यह गुण है कि बार बार मनन हो तो अन्तर में उतरता ही है।
Anjana (Gudia)
27/11/2010 at 11:46 अपराह्न
choti aur sateek rachna… dhanyawaad!
सुशील बाकलीवास
28/11/2010 at 1:14 पूर्वाह्न
दिल की डायरी में नोट करने योग्य.
वाणी गीत
28/11/2010 at 6:58 पूर्वाह्न
अच्छी सलाह !
Udan Tashtari
28/11/2010 at 9:20 पूर्वाह्न
आभार सदविचारों का.
सुज्ञ
28/11/2010 at 10:04 पूर्वाह्न
अंजना जी,सुशील जी,वाणी जी,और समीर जी,आभार, इस सुक्त सराहना के लिये
राम त्यागी
28/11/2010 at 10:42 पूर्वाह्न
इस सलाह का पूरा पालन करने की कोशिश की जायेगी !
Poorviya
28/11/2010 at 10:43 पूर्वाह्न
shanti mai hi shakti hai .
बंटी चोर
28/11/2010 at 7:20 अपराह्न
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।मैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।आप सबका अपराधीबंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
बंटी चोर
28/11/2010 at 7:20 अपराह्न
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।मैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।आप सबका अपराधीबंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
बंटी चोर
28/11/2010 at 7:20 अपराह्न
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।मैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।आप सबका अपराधीबंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
दिगम्बर नासवा
29/11/2010 at 12:32 अपराह्न
Bahut hi achhaa kaha hai .. prabhaavi tareke se …
सतीश सक्सेना
30/11/2010 at 5:27 अपराह्न
अति सुंदर वचन !हार्दिक शुभकामनायें