भवन्ति नम्रास्तरवः फ़लोदगमैर्नवाम्बुभिर्भूमिविलम्बिनो घना:।अनुद्धता सत्पुरुषा: समृद्धिभिः स्वभाव एवैष परोपकारिणम्॥
– जैसे फ़ल लगने पर वृक्ष नम्र हो जाते है,जल से भरे मेघ भूमि की ओर झुक जाते है, उसी प्रकार सत्पुरुष समृद्धि पाकर नम्र हो जाते है, परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा होता है।
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चला बिहारी ब्लॉगर बनने
16/10/2010 at 8:47 अपराह्न
हंस राज जी… एक बहुत पुराना शेर है, जो बिल्कुल आपकी बात को बल देता हैःआप से झुक के जो मिलता होगा,उसका क़द आपसे ऊँचा होगा.कोई भी झुकने से छोटा नहीं होता, यह उसके बड़प्पन की निशानी है!! आपको तथा आपके परिवार को दशहरे की शुभकामनाएँ!!!
abhishek1502
16/10/2010 at 9:40 अपराह्न
सत्य वचन ,दशहरा की आप और आप के परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभ कामनाये
दीर्घतमा
16/10/2010 at 11:10 अपराह्न
विजय दशमी पर हार्दिक शुभकामनाये, समय पर एक अच्छा सुभाषित.
S.M.MAsum
17/10/2010 at 3:05 अपराह्न
आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्योहार दशहरा की शुभकामनाएं. आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके. तभी बुराई पे अच्छाई की विजय संभव है.
दिगम्बर नासवा
25/10/2010 at 2:04 अपराह्न
सत्य वचन ….