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छलती है मैत्री
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विचार वेदना की गहराई
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं
हितेन्द्र अनंत का दृष्टिकोण
पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, इतिहास, यात्रा आदि पर Archaeology, Numismatics, History, Travel and so on
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
चरित्र विकास
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सम्वेदना के स्वर
20/09/2010 at 7:09 अपराह्न
आज के युग का एक कड़वा सच!!
ZEAL
20/09/2010 at 8:37 अपराह्न
.मैंने तो अपने मित्रों को हमेशा प्यार किया, कभी कोई अपेक्षा ही नहीं रखी। मुझे अपने एक तरफ़ा प्यार पर गर्व है। और अपने मित्रों के साथ मैत्री पर। …आभार। .
Gourav Agrawal
20/09/2010 at 8:46 अपराह्न
@मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!मैं इस बात को पूरी तरह नहीं समझ पाया हूँ ….आप [या कोई भी पाठक] जब भी समय मिले इसे कुछ खुल कर बताइये :)यहाँ मैत्री मतलब फ्रेंडलीनेस और मित्रता मतलब फ्रेंडशिप ही है ना ?? 🙂
सुज्ञ
20/09/2010 at 8:53 अपराह्न
मैत्री और मित्रता (फ्रेंडशिप)समानार्थक है।@मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!अर्थात, दोस्ती किसी दिन काम आयेगी, मात्र इसी अपेक्षा पर आज मित्रता चलती है। पर खरे वक्त में स्वार्थ आडे आ जाता है।
M VERMA
20/09/2010 at 10:04 अपराह्न
मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।यही सच है
Mahak
20/09/2010 at 11:19 अपराह्न
दोस्ती किसी दिन काम आयेगी, मात्र इसी अपेक्षा पर आज मित्रता चलती है। पर खरे वक्त में स्वार्थ आडे आ जाता है। @सुज्ञ जी आपकी उपरोक्त पंक्तियों से पूर्णतः सहमत हूँ
सतीश सक्सेना
21/09/2010 at 10:14 पूर्वाह्न
लगा जैसे कुछ अधूरा रह गया यहाँ ….शुभकामनायें
sada
21/09/2010 at 10:57 पूर्वाह्न
मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।जब भी पडते है काम, स्वार्थी बन लेती है मैत्री।सुन्दर पंक्तियां ।
संजय भास्कर
21/09/2010 at 12:17 अपराह्न
अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!
अमित शर्मा
21/09/2010 at 1:11 अपराह्न
@ मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।जब भी पडते है काम, स्वार्थी बन लेती है मैत्री।जे न मित्र दुख होहिं दुखारीतिन्हहिं विलोकत पातक भारी।(रामचरित मानस ४/८)
Gourav Agrawal
21/09/2010 at 1:36 अपराह्न
@सुज्ञ जी हाँ .. अब मुझे कंसेप्ट [जो आप कहना चाहते हैं ] क्लीयर हुआ बस एक ही लाइन पर मामला अटका था कम शब्दों में लिखी गयी गहन अर्थ वाली इस पोस्ट के लिए आभार जो भी सीखा है याद रखूंगा 🙂
Gourav Agrawal
21/09/2010 at 1:38 अपराह्न
…. बहुत अच्छे समझाया आपने और अमित जी की टिपण्णी ने भी
Gourav Agrawal
21/09/2010 at 1:39 अपराह्न
[सुधार ]*बहुत अच्छे से समझाया ….
सुज्ञ
21/09/2010 at 4:34 अपराह्न
चैतन्य जी,दिव्या जी,गौरव जी,वर्मा जी,महक जी,सतीश जी,सदा जी,संजय जी,अमित जी,उत्साहवर्धन के लिये आभार॥
दीर्घतमा
21/09/2010 at 5:43 अपराह्न
मैत्री निः स्वार्थ कणुआ सच .
नीरज गोस्वामी
21/09/2010 at 6:30 अपराह्न
कितनी अच्छी और सच्ची बात कही है आपने…बड़ी मुश्किल से मगर दोस्त मिलते हैं…नीरज
abhishek1502
23/09/2010 at 7:25 अपराह्न
सत्य वचन
दिगम्बर नासवा
28/09/2010 at 3:12 अपराह्न
जहाँ मित्रता है वहाँ इन चीज़ों का क्या काम …. सच्ची मित्रता स्वार्थ पर नही चल सकती ….अच्छी रचना है बहुत आपकी ….
S.M.MAsum
28/09/2010 at 10:54 अपराह्न
मैंने तो अपने मित्रों को हमेशा प्यार किया, कभी कोई अपेक्षा ही नहीं रखी। मुझे अपने एक तरफ़ा प्यार पर गर्व है। और अपने मित्रों के साथ मैत्री पर।Thanks Zeal for beautiful message.
संगीता स्वरुप ( गीत )
02/10/2010 at 3:51 अपराह्न
अच्छी रचना… मित्रता को समझने में सहायक ..
अनामिका की सदायें ......
04/10/2010 at 11:28 अपराह्न
एक एक शब्द सच का बखान है.सुंदर रचना.
Ejaz Ul Haq
05/10/2010 at 3:03 अपराह्न
India has Changed – आ गया है बदलने का वक्त पढ़ने के लिए आप सभी सादर Invite हैं मेरे चिट्ठे पर
सतीश सक्सेना
07/10/2010 at 12:19 अपराह्न
आदरयोग्य सुज्ञ,मैं तो अपनी लापरवाही के कारण आपको भुला ही बैठा था, एक लाइन का आपका कमेन्ट कहीं दिल पर छू गया , स्नेह के लिए आभार !
Ejaz Ul Haq
07/10/2010 at 11:01 अपराह्न
Love wants no wall – जहां मिट गई है मंदिर-मस्जिद के बीच की दीवारमेरे ब्लॉग पर पढ़ें
S.M.MAsum
13/10/2010 at 2:01 अपराह्न
@सुज्ञ जी स्नेह के लिए आभार यह लेख़ मेरे उन दोस्तों के नाम जिन्होंने मेरा साथ हर मुश्किल मैं, हर बुरे वक़्त मैं दिया
S.M.MAsum
13/10/2010 at 5:54 अपराह्न
सुज्ञ @ आपने कहा हम अपने रिश्तों का चुनाव नहिं कर सकते पर दोस्ती चुन सकते हैं।मित्र मेरा भी यही माना है की जो तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढाए, उससे इनकार करना एक बड़ा नुकसान है. और सुज्ञ जी इस दुनिया मैं क्या रखा है, कुछ दिन हैं, प्यार , ईमानदारी,वफ़ा और शांति सी जी ले जो इंसान वही सफल है. आपके प्रेम सन्देश और दोस्ती का मैं स्वागत करता हूँ, आशा है